चौधरी चरण सिंह प्रेरक-जीवन दर्शन
उन्होंने अल्पकाल के प्रधानमंत्रित्व काल में कई बुनियादी और ऐतिहासिक कार्य किए जिनसे आज ग्राम्य विकास तथा किसानी को अनिर्वचनीय ताकत मिल रही है। उन्होंने पहली ग्रामीण पुनरुत्थान मंत्रालय की स्थापना की तथा किसानों को आसान कर्ज उपलब्ध कराने के लिए ‘‘नाबार्ड’’ का गठन किया। अगर भारत से बेरोजगारी तथा गरीबी मिटानी है और भारतीय जनता के रहन-सहन का स्तर ऊँचा उठाना है, तो जरूरी है कि खेती को प्राथमिकता दी जाय, किसानों को सुविधायें प्रदान की जायें, उनको सस्ते मूल्यों पर कृषि-यंत्र तथा उर्वरक दिये जायें, सिंचाई के लिए नहरों तथा नलकूपों के जाल बिछाये जायें और आई.सी.एस.आर. जैसी संस्थाओं की सेवाओं को केवल दिल्ली तक केन्द्रित न रहकर दूर-देहातों में पहुँचाया जाये। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए औद्योगीकरण की नीति को एक सीमा तक बदलना पडे़गा। राजनीति में उनका संघर्ष अभूतपूर्व रहा, उन्होंने हर प्रकार के तूफान को सीधी चुनौती दी। वे लोहिया की तरह समान शिक्षा की बात करते थे। 1983 में ‘‘महर्षि का जीवन-दर्शन’’ नाम से प्रकाशित लेख में उन्होंने समान शिक्षा को जन्म सिद्ध अधिकार बताया। स्त्रियों को पुरुषों के समान अधिकार देने की पैरवी की, यही लोहिया की ‘‘सीता-राम-राज्य’’ की अवधारणा है, जिसकी चर्चा लगभग प्रत्येक मंत्र से नेताजी करते रहे हैं। चौधरी साहब को इस बात की पीड़ा रहती थी कि आजादी के वक्त देखे गए सपने पूरे नहीं हुए। वे भारत के बिगड़ते रुप से चिन्तित थे, उन्होंने 1982 में लेख लिखकर अपनी चिन्ता को जग जाहिर किया। वे भारत को शीर्ष क्रम में खड़ा विकसित देश के रूप में देखना चाहते थे। इसीलिए उन्होंने ग्रामीण भारत के उत्थान की नीति पर जोर दिया और सोती जनता को जगाने की बात बार-बार की। वे राष्ट्रीय विवेक के अभाव को गुलामी का कारण मानते थे। 16 अगस्त 1947 को अमृत बाजार पत्रिका में प्रकाशित लेख ‘‘काजेज आॅफ अवर स्लेवरी’’ में उन्होंने लिखा है कि राष्ट्रीय विवेक की कमी के कारण ही अंग्रेज हम पर इतने वर्ष तक शासन कर पाए। चौधरी साहब उत्तर प्रदेश के राजस्व, सिंचाई व कृषि मंत्री के रुप में कई बुनियादी एवं युगांतकारी काम किए, मेरे पास कृषि विभाग रहा है और वर्तमान में सिंचाई तथा राजस्व है, मुझे यह कहने मेंजरा भी हिचक नहीं कि इन विभागों को प्राण देने और जनोन्मुखी बनाने का काम चौधरी साहब ने ही किया।
Agrarian Revolution in U.P., Economic Nightmare of India, India's Proverty and it's solution, India's Economic Policy, Formerly Joint Farming X-rayed जैसी पुस्तकें और सैकड़ों लेख लिखने वाले चरण सिंह ने भारत को सर्वग्राही और समावेशी विकास का अभिकल्प दिया।
इस प्रकार हम देखते हैं कि चौधरी साहब का जीवन दर्शन सतत् संघर्ष, रचनाधर्मिता और कत्र्तव्यबोध के प्रेरक प्रसंगों से भरी हुई गौरव-गाथा है। वे सही मायने में राजर्षि थे जिन्होंने राजनीति में रहते हुए ऋषि परम्परा को आगे बढ़ाया।
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, कुशल प्रशासक, प्रतिबद्ध अर्थशास्त्री, राजनेता, समाज सुधारक, लोकतंत्र के योद्धा, तानाशाही की खिलाफत के खलीफा, निष्कलंक व्यक्ति, पद्द्लितो के मसीहा, युग प्रवर्तक, कृषि व किसान के प्रवक्ता, जैसी कई भूमिकायें निभाते हुए देश के नवनिर्माण में उन्होंने महान योगदान दिया। उनकी विरासत व वैचारिक थाती के लिए देश सदियों कृतज्ञ रहेगा।